लघु अवधीय पाठ्यक्रम

लघु अवधीय पाठ्यक्रम: "जूता-डिज़ाइनिंग एवं प्रोडक्शन तकनीकी" में अल्पकालिक पाठ्यक्रम

  • योग्यता : न्यूनतम 50% अंकों के साथ 12वी पास या समकक्ष
  • आयु:
    • प्रवेश के समय अभ्यर्थी की आयु कम से कम 17 वर्ष हो चुकी हो।
    • प्रवेश में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को 5 वर्ष की छूट प्रदान की जाएगी।
  • पाठ्यक्रम शुल्क:
    • शिक्षण शुल्क : रु. 15,000/-
    • सुरक्षा शुल्क (वापसी-योग्य) : रु. 1,000/-
    • कुल : रु. 16,000/-

सीट आवंटन :

  • सी.एफ़.टी.आई. में उपलब्ध सभी सीटें केवल लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के प्रदर्शन के आधार पर तैयार वरीयता-क्रम (मेरिट) सूची के अनुसार पर भरी जाएँगी।
  • अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित सीटें भारत सरकार के नियम-विनियमों के अनुसार भरी जाएँगी।

पाठ्यक्रम:

प्रथम माह :

डिज़ाइनिंग

  • डिज़ाइन एवं पैटर्न इंजीनियरी के संदर्भ में लास्ट, फुट एवं फुटवियर का परिचय।
  • मुक्त-हस्त (फ़्री हैंड) चित्रण का प्रदर्शन एवं अभ्यास, विभिन्न जूतों के 3डी स्केच और रंग संयोजन का महत्व।
  • डिज़ाइनिंग एवं पैटर्न कटिंग के सिद्धांतों और उत्पादन (प्रोडक्शन) के लिए सटीक पैटर्नों के महत्व को समझना।
  • डिज़ाइन एवं पैटर्न कटिंग अनुभाग में सम्मिलित विभिन्न प्रक्रियाओं के अनुक्रम को समझना।
  • 'टेपिंग पद्धति' द्वारा एक पारंपरिक 'कोर्ट-शू' के 'लास्ट' का उपयोग करते हुए 'इनर', 'आउटर' एवं 'मीन' तैयार करने का प्रदर्शन एवं अभ्यास।
  • लास्ट पर पारंपरिक कोर्ट-शू का डिज़ाइन तैयार करना।
  • उपर्युक्त डिज़ाइन के पैटर्न को प्रत्यक्ष (डायरेक्ट) एवं मिश्रित (मिक्स) प्रविधि द्वारा प्रोडक्शन (नेट और अलाउंस) के लिए तैयार करने का प्रदर्शन एवं अभ्यास।
  • लास्ट पर पारंपरिक गिब्सन डिज़ाइन तैयार करना।
  • गिब्सन के खंडीय/ सेक्सनल पैटर्न तैयार करना।
  • लास्ट पर पारंपरिक ऑक्सफ़ोर्ड डिज़ाइन तैयार करना।
  • इसी के खंडीय/ सेक्सनल पैटर्न तैयार करना।
  • पुरुषों के लिए इलास्टिक सहित कैजुअल डिज़ाइन और उनके खंडीय/ सेक्सनल पैटर्न तैयार करना।
  • लास्ट पर पारंपरिक 'ट्रू-मोक' डिज़ाइन (इटेलियन शैली) तैयार करना।.
  • इसी के खंडीय/ सेक्सनल पैटर्न तैयार करना और विभिन्न सींवनों (seams) के छेदों/ पंचों की सेटिंग।

क्लिकिंग

  • क्लिकिंग अनुभाग की मशीनों और इस अनुभाग के बारे में समग्रतः जानकारी।
  • क्लिकिंग एवं मेटीरियल विभाग में काम आने वाली विभिन्न मशीनों की कार्यविधि (फ़ंक्शन) और रखरखाव को समझना।
  • इस प्रक्रिया में परिचालन के अनुक्रम और सम्मिलित मशीनरी को समझना।
  • अनुभाग की सभी मशीनों का एक बार परिचालन करना।
  • घटकों (कंपोनेंट) के वास्तविक प्रारूप (ले-आउट) को कागज़ पर प्रदर्शित करना।
  • मेटीरियल की खपत को विशेष रुप से ध्यान में रखते हुए मशीन द्वारा अपर और बॉटम कंपोनेंट की कटिंग को प्रदर्शित करना।
  • स्प्लिटिंग मशीन द्वारा अपर कंपोनेंट की स्प्लिटिंग का प्रदर्शन करना।
  • रिवर्टिंग मशीन द्वारा शेंक अटैचमेंट के बारे में प्रदर्शन।

द्वितीय माह :

डिज़ाइनिंग

  • प्रोडक्शन हेतु लास्ट/ फुटवियर के बॉटम पैटर्न तैयार करना।
  • हाथ और मशीन द्वारा पैटर्नों की ग्रेडिंग की जानकारी।
  • मशीन द्वारा जूते के विभिन्न भागों की ग्रेडिंग का सैद्धांतिक विवरण एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण।

क्लिकिंग

  • बॉटम कंपोनेंट के स्काइविंग के बारे में प्रदर्शन।
  • इनसोल की मोल्डिंग के वारे में प्रदर्शन।
  • हाथ और मशीन द्वारा की गई कटिंग की खूबियों और खामियों का वर्णन।
  • चमड़ा फ़ुटवियर उद्योग के लिए सबसे अधिक उपयुक्त मेटीरियल क्यों है – इसका वर्णन।
  • चमड़े की गुण-तत्वों (प्रॉपर्टी) और विशेषताओं (क्वालिटी) का वर्णन।
  • प्रोडक्ट को अंतिम रूप देने के लिए कच्चे माल से bofलेदर विनिर्माण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली नवीनतम तकनीकों का वर्णन।
  • इन दिनों फ़ुटवियर उद्योग में इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य प्रकार के अपर मेटीरियल का वर्णन।
  • इन दिनों फ़ुटवियर उद्योग में इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य प्रकार के बॉटम मेटीरियल का वर्णन।
  • चमड़ा खरीदते समय मेटीरियल के चयन एवं ग्रेडिंग का वर्णन
  • मेटीरियल की खपत के मानकों के बारे में वर्णन करना और यह बताना कि किस प्रकार मेटीरियल खपत के मानकों की / के अनुसार गणना करें साथ ही विभिन्न मापन व्यवस्थाओं के बारे में बताना।

तृतीय माह :

क्लोज़िंग

  • फ़ुटवियर, अपर एड के प्रकार, क्लोज़िंग विभाग में अपर भाग की असेंबली का परिचय।
  • अपर एवं लाइनिंग मेटीरियल के लिए उपलब्ध तैयारी के औज़ारों, उपकरणों और मशीनों का प्रदर्शन।
  • मुख्य परिचालनों, परीक्षण खंडों (टेस्ट पीस), छिद्रणों (परफ़ोरेशन) के उपयोग का प्रदर्शन।
  • अपर तैयार करने की सैद्धांतिकी (जैसेः कट कंपोनेंट की क्लिकिंग, मार्किंग, पंचिंग, परफोरेटिंग, एम्बॉसिंग) का वर्णन।
  • प्रशिक्षणार्थियों को फ्लैट बेड/ पोस्ट बेड एकल सुई वाली सिलाई मशीन पर अभ्यास कराना।
  • स्काइविंग की सिद्धांतिकी का वर्णन, स्काइव के प्रकार और स्काइविंग मशीन का विस्तृत जानकारी जैसेः मशीन के पार्ट्स, मशीन का एडजेस्टमेंट आदि।
  • प्रशिक्षणार्थियों को फ्लैट बेड/ पोस्ट बेड एकल सुई वाली सिलाई मशीन से सिंथेटिक/ लेदर मेटीरियल पर अभ्यास कराना।
  • फ्लैट बेड/ पोस्ट बेड सिलाई मशीन पर स्टिच लेंथ एडजेस्टमेंट, सुई लगाने, धागा डालने और सिलाई सणीन के रखरखाव आदि का अभ्यास कराना।
  • धागे की सैद्धांतिकी का वर्णन, आदर्श धागे के गुण-तत्व, धागे की संरचना, फिनिश एवं स्यूइंग धागे की नंबरिंग।
  • रीइनफ़ोर्समेंट की सैद्धांतिकी, टॉप लाइन एवं एज ट्रीटमेंट का वर्णन।
  • क्लोज़िंग की प्रक्रिया में विभिन्न हस्तकुशल ऑपरेटरों की आवश्यकता का वर्णन।
  • मशीन की / द्वारा मार्किंग की स्टिच का प्रदर्शन एवं अभ्यास।
  • मशीन और हाथ द्वारा फ़ोल्डिंग का प्रदर्शन एवं अभ्यास.
  • क्लोज़िंग में अस्थायी एवं स्थायी रूप से जोड़ने के कार्य के लिए बैकर्स, हैंड स्कीविंग, एडहेशन के उदाहरण देना।
  • विभिन्न सीम, स्टिच, फ़ेसिंग, बॉक्सिंग, ग्रेनिंग, बकिंग आदि के प्रकारों को सिद्धांत रूप में समझाना।
  • एडहेसिव के प्रयोजन, प्रकार और अनुप्रयोग विधि को समझाना।
  • दोहरी सुई वाली फ़्लैट/ पोस्ट/ स्यूइंग मशीनों एवं अति टिकाऊ (हैवी ड्यूटी) फ़्लैट/ पोस्ट/ स्यूइंग मशीनों पर अभ्यास।
  • हैंड आइलेटिंग, ट्रिम एवं बकल अटैचमेंट का प्रदर्शन।
  • विभिन्न प्रकार के स्काइव, एज ट्रीटमेंट और सीम्स पर प्रोजेक्ट तैयार करना।

बॉटमिंग

  • बॉटमिंग मशीन और अनुभाग का समग्र रूप में परिचय।
  • लास्टिंग एवं मेकिंग में प्रयुक्त विभिन्न मशीनों के सिद्धांत, कार्य-विधि एवं रखरखाव को समझना।
  • इस प्रक्रिया में परिचालन के अनुक्रम और सम्मिलित मशीनरी को समझना।
  • इलेक्टॉनिक एवं न्यूमेटिक इत्यादि मशीनों की स्थापना एवं इनके सिस्टन का अद्ययन करने पर बल देना।
  • सटीक रूप से इनसोल की अटेचिंग बैक पार्ट्स की मोल्डिंग इत्यादि पर बल देते हुए इन सबका प्रदर्शन, अभ्यास एवं प्रयोग करना।
  • फोरपार्ट लास्टिंग मशीन की सेटिंग और रखरखाव सीखने के बाद इनका प्रदर्शन, अभ्यास एवं प्रयोग करना।
  • साइड एंड सीट लास्टिंग मशीन मशीन की सेटिंग और रखरखाव सीखने के बाद इनका प्रदर्शन, अभ्यास एवं प्रयोग करना।

चतुर्थ माह:

क्लोज़िंग

  • सुईयों (नीडल) की सैद्धांतिकी का वर्णन, सुई के भाग, सुई के आकार, सुई एवं सुई की नोंक के रूपाकार (स्टाइल)।
  • स्टिचिंग के तरीके, सिलाई मशीनें एवं इनके विभिन्न प्रकारों की विस्तृत जानकारी।
  • सिलाई मशीन, सुई और धागे का संबंध।
  • फ़ुटवियर उद्योग में सिलाई संबंधी सामान्य सुझाव एवं मान्यताएँ।
  • बाइंडिंग, कॉर्डिंग, ज़िग-ज़ैग, आइलेटिंग, सीम रबिंग एंड टेपिंग, लेमिनेशन आदि मशीनों पर अभ्यास।
  • चिल्ड्रेन डर्बी, गर्ल्स टी-बार शू-अपर का निर्माण।
  • विभिन्न प्रकार की शैली (स्टाइल) संबंधी सरल संरचनाओं, (जैसेः कोर्ट, गिब्सन, ऑक्सफ़ोर्ड, ब्रॉग, कैजुअल एवं मोक इत्यादि) में अपेक्षित परिचालनों का अनुक्रम।
  • क्लोज़िंग विभाग में आर्टिकल, मशीन के ले-आउट के अनुसार फ़्लो-चार्ट की प्रक्रिया।
  • विभिन्न लेडीज़ कोर्ट शू-अपर, जेंट्रस डर्बी, ऑक्सफ़ोर्ड शू-अपर का निर्माण।
  • उत्पादन-नियोजन (प्रोडक्शन-प्लानिंग) एवं कार्य-अध्ययन (वर्क-स्टडी) को समझना।
  • प्रक्रिया के दौरान गुणवत्ता मानकों, गुणवत्ता नियंत्रण और त्रुटि-रहित (ज़ीरो डिफ़ेक्ट) उत्पादन को समझना।
  • जेंट्स बोर्ज, मोकसिन शू-अपर का निर्माण।
  • क्लोज़िंग विभाग की स्थापना के लिए नवीनतन तकनीकी से संबंधित उपयुक्त कार्य-पद्धति, जैसेः एफ़ओएफ़, टोयोटा, कैनबेन और अन्य अनुभवी सिस्टम।
  • क्लोज़िंग मशीनरी में अधुनातन तकनीकी की जानकारी।.

क्लोज़िंग

  • हीट-शीटिंग प्रक्रिया के गुण-दोषों का वर्णन।
  • समुचित रफ़िंग, पॉन्डिंग एवं सीमेंटिंग का वर्णन एवं प्रयोग।
  • सोल-अटैचिंग एवं हीट-अटैचिंग अभ्यास का प्रदर्शन एवं प्रयोग।
  • अंतिम प्रोडक्ट के रूप में हासिल किए जाने वाले स्वीकार्य गुणवत्ता मानकों के महत्व की रूपरेखा का निर्धारण एवं प्रदर्शन।
  • सटीक पैटर्न कटिंग, क्लिकिंग, क्लोज़िंग और लास्टिंग प्रक्रिया के प्रभावों का वर्णन। किस प्रकार एक घटिया इनसोल मोल्डिंग एवं पोज़ीशनिंग लास्टिंग की प्रक्रिया को प्रभावित करती है। विभिन्न संरचनाओं में प्रयुक्त लास्टिंग सिस्टम।
  • समय एवं कार्य-अध्ययन करते हुए अलग-अलग प्रकार के मेटीरियल से विभिन्न आर्टिकल का मशीन द्वारा निर्माण। हर प्रशिक्षणआर्थी को प्रति सप्ताह कम से कम 6 जोड़े तैयार करने होंगे।

पाँचवाँ एवं छठा माह :

  • परियोजना कार्य एवं औद्योगिक क्षेत्र संदर्शन (विज़िट)

मूल्यांकन प्रक्रिया:

पाठ्यक्रम के दौरान नियमित आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। हालांकि इस पाठ्यक्रम के दौरान कोई सत्रीय या अंतिम परीक्षा नहीं आयोजित की जाती है लेकिन समय-समय पर नियमित रूप से और प्रत्येक वर्ष के अंत में मूल्यांकन परीक्षण (टेस्ट) अवश्य किए जाते हैं। विभिन्न टेस्टों में प्राप्त किए गए ग्रेडों को समेकित करते हुए अंतिम ग्रेड प्रदान किए जाते हैं। ग्रेडिंग की व्यवस्था इस प्रकार है :

प्राप्तांक ग्रेड
0 - 39% F (फेल)
40% - 59% P (पास)
60% - 74% M (मेरिट)
75% - 79% M+ (मेरिट+)
80% & ऊपर D (डिस्टिंक्शन/ विशेष योग्यता)