कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (सी.एन.सी.) मशीनें वे स्वचालित मिलिंग डिवाइसें होती हैं जो बिना प्रत्यक्ष मानव-सहायता के औद्योगिक कंपोनेंट का निर्माण करती हैं। ये मशीनें कोडबद्ध अनुदेशों का उपयोग करती हैं जो एक आंतरिक कंप्यूटर को भेजे जाते हैं और जिससे फैक्ट्रियों को सटीकता एवं शीघ्रता से तैयार करने में मदद मिलती है। सी.एन.सी मशीनें अनेक प्रकार की होती हैं, इनके अंतर्गत ड्रिल से लेकर प्लाज़्मा कटर तक सम्मिलित हैं, इस प्रकार इनका उपयोग विभिन्न प्रकार के भागों को बनाने में किया जा सकता है। यद्यपि ये सभी मशीनें औद्योगिक विनिर्माण कार्य में उपयोग में लाई जाती हैं तथापि अधिकतर मशीनों के शौकिया संस्करण (हॉबी वर्ज़न) भी उपलब्ध हैं जिनका उपयोग छोटे-घरेलू स्तर पर किया जा सकता है।
मिलिंग मशीन, खराद (लेद) और ग्राइंडर सबसे अधिक प्रचलित सी.एन.सी. मशीनें हैं। मिलिंग मशीनें एक कटिंग स्पेंडल की सहायता से स्वचालित रूप से धातु सहित (मेटल) सभी तरह के मेटीरियल को काटती हैं जिसे कंप्यूटरीकृत निर्देशानुसार अलग-अलग स्थितियों और गहराईयों में घुमाया जा सकता है। खराद / लेद का उपयोग मेटीरियल को एक सुनिर्धारित आकार प्रदान करने के लिए घुमाने या स्पिन कराने के लिए किया जाता है। इनका आम तौर पर सिमेट्रिकल टुकड़ों में अत्यधिक गहरे कट लगाने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे शंकु (कोन) और बेलन (सिलेंडर)। मेटीरियल को पीसने (ग्राइंड करने) और धातु (मेटल) या प्लास्टिक को मनचाहे आकार में मोड़ने (मोल्ड करने) के लिए ग्राइंडरों में एक घूमने वाले चक्के (स्पिनिंग व्हील) का उपयोग किया जाता है। इन्हें प्रोग्राम करना आसान होता है, इसलिए इनका उपयोग अक्सर ऐसे प्रोजेक्टों के लिए किया जाता है जिनमें वैसी परिशुद्धता की आवश्यकता नहीं होती जैसी मिल और लेद मशीनों में चाहिए। इसके अतिरिक्त सी.एन.सी. राउटर्स भी आते हैं जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार के मेटीरियल में कट लगाने के लिए और इसके साथ ही कंप्यूटर द्वारा प्रोग्राम-योग्य 3डी प्रिंटरों और मेटल एवं प्लास्टिक में छेद बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले 'टरेट पंचों' के लिए भी किया जाता है। इस तकनीकी का इस्तेमाल पानी, लेज़र एवं प्लाज़्मा के साथ काम करने वाले कटर सहित विभिन्न प्रकार के कटर के साथ भी किया जा सकता है।
जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, यह तकनीकी किसी खुले साँचे (ओपन मोल्ड) में तरल मिश्रण (लिक्विड मिक्स्चर) को डालने की प्रविधि का उपयोग करती है।इस तकनीकी में प्रयुक्त आधारभूत सिद्धांत दो तरल रसायनों (पॉलिऑल एवं आइसोसाइनेट) के मिश्रण पर आधारित है। एक मिक्सिंग हेड का उपयोग करते हुए और इस मिश्रण को कम दवाब में खुले प्रकार के एल्यूमिनियम के साँचे में डाला जाता है, जिसकी वजह से कुछ समय के लिए पीयू खुले वातावरण में रहता है। सी.एफ़.टी.आइ. में जिस मशीन का हम इस्तेमाल करते हैं उसमें मिक्सर को हाथ से (मैन्युअली) घुमाया जाता है जबकि मोल्ड-होल्डर्स और मोल्ड स्थिर रहते हैं। इस स्थिति में आपके पास 6, 12,18, 24 से लेकर अधिकतम 32 स्टेशन/ मोल्ड हो सकते हैं जो कि अधिक किफ़ायती विकल्प है।